फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है कोरोना संक्रमण

फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है कोरोना संक्रमण

सेहतराग टीम

रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड रेस्परेटरी फिजिशियन के अध्यक्ष प्रोफेसर जॉन विल्सन के अनुसार करोना का संक्रमण व्यक्ति के फेफड़ो को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाता है।

पढ़ें- अमेरिकी कंपनियों ने कोरोना को लेकर चीन पर दायर किया 20 लाख करोड़ डॉलर का मुकदमा

बीमार की शुरुआत

नया कोरोना वायरस 2019 के आखिर में अनजान कारणों से निमोनिया जैसी बीमारी से सामने आया था। वहीं बाद में पता चला कि इस बीमारी का कारण सीवियर एक्यूट रेस्परेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 या सार्स कोरोना वायरस-2 है। इसमें शउरात में हल्की सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण प्रकट होते है। WHO के अनुसार कोरोना संक्रमित करीब 80 फीसद लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते है। संक्रमित छह लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति गंभीर रुप से बीमार पड़ता है और वह सांस लेने में तकलीफ होने की स्थिति तक पहुंचता है।  

छह फीसद लोग पीड़ित होते है गंभीर

वुहान में यह देखा गया कि टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए जिन लोगों ने इलाज कराया, उनमें से सिर्फ 6 फीसद लोगों की हालत गंभईर हुई। WHO के मुताबिक बुजुर्ग तथा हाई ब्लड प्रेशर, ह्दय तथा फेफड़े व मधुमेह के रोगियों में स्थिति गंभीर होने की ज्यादा संभावना रहती है।

कैसे होता है निमोनिया

कोविड-19 संक्रमितों को कफ औऱ बुखार होता है। विल्सन के मुताबिक ऐसा रेस्परेटरी ट्री तक संक्रमण होने से होता है। इसमें रेस्परेटरी लाइनिंग में जख्म हो जाता है, जिससे उसमें सूजन पैदा होती है। यह एयरवे की लाइनिंग में परेशान पैदा करता है तथा धूल के एक कण से भी खांसी होने लगती है। हालत तब और बिगड़ जाती है, जब यह एयर लाइनिंग को पार कर गैस एक्सचेंज यूनिट तक पहुंचता है। यदि यह संक्रमण हो जाता है तो फेफड़ो के निचले हिस्सों से वायू कोषों में सूजन पैदा करने वाली सामाग्री उड़ेलने लगता है।  वायू कोषों में सूजन के बाद द्र्व तथा इनफ्लेमेटरी फेफड़े में आने लगते है, जिसका परिणाम निमोनिया होता है। ऐसी स्थिति में फेफड़ा रक्त प्रवाह से पर्याप्त मात्रा में सांस नहीं ले पाता है और शरीर में ऑक्सीजन लेने और कॉर्बन डाई ऑक्साइड के प्रवाह से बचने की क्षमता कम हो जाती है। यह निमोनिया की गंभीर स्थिति होती है।

क्या कोविड-19 और निमोनिया अलग है

जैनकिन्स बताती है कि कोविड-19 निमोनिया के सामान्य केसों से अलग है। अधिकांस तरह के निमोनिया, जिनके बारे में हम जानते है वह बैक्टीरियल होते है और उसमें एंटीबायोटिक कारगार होता है। वही विल्सन का कहना है कि कोविड-19 जनित निमोनिया की तरह गंभीर किस्म के होते है और फेफड़े के छोटे हिस्सों के बजाय पूरे को ही प्रभावित करता है। एक बार फेफड़ा संक्रमित हो जाए और उसमें भी यदि एयर सैक्स तक पहुंच जाए तो शरीर की पहली प्रतिक्रिया वायरस को नष्ट करने तथा उसे बढ़ने से रोकना होता है। जैनकिन्स के मुताबिक 65 साल के उपर के बुजुर्गों, मधुमेह, कैंसर या फेफड़े को प्रभावित करने वाली पुरानी बीमारी, किडनी, लिवर के रोगियों,धूमपान करने वालों तथा 12 महीनें से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का ज्यादा खतरा होता है।  

निमोनिया का इलाज

चेयर ऑफ लंग फाउंडेशन और आस्ट्रेलिया की प्रोफेसर तथा अग्रणी श्वसन रोग विशेषज्ञा क्रस्टिन जेनकिन्स बताती है कि दुर्भाग्यवश अभी हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे लोगों को कोविड-19 निमोनिया होने से बचाया जा सके। तरह-तरह की दवाइयां और उपाय आजमाएं जा रहे है लेकिन अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं मिल सका है। वही उन्होंने कहा कि जब तक फेफड़ा सामान्य रुप से काम नहीं करने लगता ,तब तक रोगियों में ऑक्सीजन का उच्च स्तर बनाए रखने के लिए उन्हें वेटिंलेटर का सहारा देते है। विल्सन बताते है कि वायरल निमोनिया रोगियों में सेकेंडरी संक्रमण का खतरा रहता है। इसलिए उन्हें एंटी वायरल और एंटीबॉयोटिक दवाइ दी जानी चाहिए। लेकिन इस महामारी में कई दफा यह इलाज पर्याप्त नहीं होता और निमोनिया बढ़ जाता है तथा रोगी बच नहीं पाता है।

इसे भी पढ़ें-

रिलायंस इंडस्ट्रीज की मदद से देश में तैयार हुआ पहला COVID-19 डेडिकेटेड हॉस्पिटल

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।